नयी दिल्ली। छठी बार विश्व चैम्पियन बनी एम सी मैरीकॉम (48 किग्रा) को यहां दसवीं एआईबीए विश्व चैम्पियनशिप का ‘सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज’ चुना गया और उनका कहना है कि अनुभव निश्चित रूप से काफी अहम होता है क्योंकि इससे ही आप विपक्षी से खेलने के लिये दिमागी रणनीति में बदलाव करके जीत हासिल कर पाते हो। मेरीकाम ने यहां केडी जाधव हाल में समाप्त हुई चैम्पियनशिप के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘मेरी सारी प्रतिद्वंद्वी काफी मजबूत थी, लेकिन मैं इस वर्ग में पिछले इतने वर्षों से खेल रही हूं तो इसकी अनुभवी हो चुकी हूं। मुझे ओलंपिक के लिये पिछले तीन साल में 51 किग्रा में आना पड़ा। जिसमें खिलाड़ी काफी लंबी और मजबूत हैं। इससे मैं मानसिक रूप से मजबूत हुई और आत्मविश्वास से भरी थी।’’
पिछली बार भारत में 2006 में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में भारत ने आठ पदक (तीन स्वर्ण, एक रजत, तीन कांस्य) जीते थे तो इस स्वर्ण की तुलना उस चैम्पियनशिप में जीते स्वर्ण से करने के बारे में मेरीकाम ने कहा, ‘‘अगर तुलना करूं तो अब मैं दबाव से निपटना सीख गयी हूं। तब मुझे इतना अनुभव नहीं था, तब मैं काफी थक जाती थी, लेकिन अब मुझे दिमाग से खेलना आ गया है। अब मुझे कोई आसानी से नहीं हरा सकता। मुकाबला जीतने के लिये चालाक होना जरूरी है। दिमाग से खेलना और सीखना महत्वपूर्ण है।’’
मैरीकॉम ने छठा स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपने माता पिता से बात की और वह उन्हें भी इस जीत का भागीदार मानती हैं कि उनकी मदद के बिना वह यह सब हासिल नहीं कर पातीं। बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह ने टूर्नामेंट के आयोजन के बारे में कहा, ‘‘एआईबीए अध्यक्ष गाफूर राखिमोव टूर्नामेंट के इतने शानदार आयोजन से बहुत खुश थे, उन्होंने कहा कि यह सारी विश्व चैम्पियनशिप में अब तक की सर्वश्रेष्ठ मेजबानी रही। ’’ मेरीकाम भी टूर्नामेंट के आयोजन से भी खुश थी। लेकिन अब उनकी निगाहें 2020 तोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिये क्वालीफायर टूर्नामेंट पर लगी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘अब ओलंपिक के लिये क्वालीफायर और उपमहाद्वीपीय क्वालीफायर काफी अहम हैं। मैं कड़ी ट्रेनिंग करूंगी। ’’ उनके अलावा रजत पदकधारी सोनिया तथा कांस्य पदकधारी लवलीना बोरगोहेन और सिमरनजीत कौर की निगाहें पदक के जश्न के बाद क्वालीफायर की तैयारियों में जुट जाने पर लगी हैं।