जब अपने हुए पराये तो डाक्टर ने पेश की मिसाल

कोझिकोड (केरल)। संक्रमण के डर से जब अपने भी साथ छोड़ रहे हैं वैसे में एक व्यक्ति ने न सिर्फ चिकित्सक के तौर पर अपना फर्ज अदा किया बल्कि जानलेवा निपाह वायरस की चपेट में आकर प्राण गंवाने वालों का अंतिम संस्कार करके इंसानियत की नयी मिसाल कायम की। निपाह से संक्रमित होने के डर से जब करीबी रिश्तेदार भी दूर जा रहे हैं, वैसे में कोझिकोड निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ . आर एस गोपकुमार ने 12 शवों का निपटारा करने की जिम्मेदारी ली। इन लोगों की अंतिम यात्रा की निगरानी उन्होंने की। 41 वर्षीय गोपकुमार ने कहा, ‘‘मैं तीन शवों का ताबूत उठाने वालों में था और उनका अंतिम संस्कार भी किया।’’

निपाह वायरस से केरल में अब तक 17 लोगों की जान गई है। इनमें से 14 की कोझिकोड में मृत्यु हुई है जबकि तीन की पड़ोसी मलप्पुरम जिले में हुई है। मोहम्मद सबित का नाम शामिल करके राज्य सरकार ने कल बताया था कि इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। वह पहले पीड़ित थे जिनके नमूने की निपाह वायरस के लिये जांच नहीं की गई थी। गोपकुमार ने बताया कि उन्होंने 17 साल के एक युवक का अंतिम संस्कार किया। उसकी निपाह से मृत्यु हो गई थी और वायरस से संक्रमित होने के संदेह में उसकी मां एकांत वार्ड में है। वह अपने बेटे को आखिरी बार देख भी नहीं सकी और डॉ. गोपकुमार को ताबूत उठाने की रस्म अदा करने की अनुमति दी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं दुखी था कि अंतिम यात्रा के दौरान अंतिम संस्कार करने के लिये उसका कोई अपना मौजूद नहीं था। मैंने दोबारा नहीं सोचा — और हिंदू रीतियों से उसका अंतिम संस्कार करने का फैसला किया क्योंकि मैं पूरे सम्मान के साथ उसे अंतिम यात्रा पर विदा करना चाहता था। यह मेरा कर्तव्य था।’’ 53 वर्षीय एक व्यक्ति के रिश्तेदारों ने जब उन्हें सूचित किया कि वह अंत्येष्टि में हिस्सा नहीं ले रहे हैं तो उन्होंने ही उसका भी अंतिम संस्कार किया। इस व्यक्ति की भी निपाह से मौत हुई थी। 19 वर्षीय एक और महिला का अंतिम संस्कार करने में उन्होंने उसके पति की मदद की।

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