कारिता। इंडोनेशिया के खोज एवं बचाव दल ने बुधवार को दूरवर्ती द्वीपों पर फंसे लोगों को निकाला। एक ज्वालामुखी में विस्फोट से आई सुनामी का दंश झेल रहे इन लोगों को अब भी मदद की दरकार है। चिकित्सकीय कर्मियों ने चेतावनी दी है कि स्वच्छ पानी और दवाइयों की आपूर्ति कम हो गई है जिससे जन स्वास्थ्य का संकट पैदा होने की आशंका बढ़ गई है। हजारों विस्थापित लोग आश्रय गृहों और अस्पतालों में ठसाठस भरे पड़े हैं। सुनामी के चलते कई लोग बेघर हो गए हैं।
आपदा एजेंसी ने कहा कि पश्चिम जावा और दक्षिणी सुमात्रा की तटरेखा पर रह रहे समुदायों तक सामान पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया है। एजेंसी ने बताया कि जावा और सुमात्रा को अलग करने वाली सुन्दा जलसंधि में छोटे द्वीपों पर अब भी हजारों निवासी फंसे हुए हैं। इन्हें हेलीकॉप्टर से निकाला जाएगा या नौकाओं से ले जाया जाएगा। फंसे हुए लोगों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन मलबे के नीचे किसी भी जीवित व्यक्ति के मिलने की संभावना ना के बराबर है।
आपदा एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी डोडी रुसवांदी ने कहा, ‘‘हमने सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित दूरदराज के स्थानों तक पहुंचना शुरू कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वहां पर व्यापक पैमाने पर विध्वंस हुआ है लेकिन हम कुछ दिनों तक वहां पहुंच नहीं पाए।’’ उन्होंने बताया कि दूरदराज के इलाकों के समीप कुछ सड़कें तथा पुल क्षतिग्रस्त हो गए जिससे सड़क मार्ग से पहुंचना मुश्किल हो गया।
पूर्व चेतावनी के बिना शनिवार रात को आई प्रचंड सुनामी में मशहूर समुद्र तट और पर्यटक होटल बह गए तथा तटीय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में प्रभावित हुए। सुनामी में 429 लोगों की मौत हो गई, 1485 लोग घायल हो गए तथा 154 अन्य लोग लापता हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि घटनास्थल पर ज्वालामुखी अब भी सक्रिय है तथा और ऊंची एवं जानलेवा लहरें उठ सकती हैं। कई विस्थापित लोग अब भी घर जाने से डर रहे हैं।