लॉक डाउन 4.0 में कैसा रहेगा असर उत्तराखंड में
लॉकडाउन के तीन चरणों में उत्तराखंड रोडवेज की बसों और प्राइवेट यात्री वाहनों का संचालन पूरी तरह से ठप है। इस कारण परिवहन व्यवस्था के कारोबार से जुड़े लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चौथे चरण के लॉकडाउन में यात्री वाहनों के संचालन में ढील दी है।
देशभर में लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को नई गाइड जारी की है, जिसमें राज्यों की आपसी सहमति से यात्री वाहन व बसों के संचालन को अनुमति दी गई, लेकिन कोविड-19 महामारी को लेकर घोषित किए गए कंटेनमेंट जोन को इससे अलग रखा गया है। अलबत्ता राज्य के भीतर बसों व यात्री वाहनों के संचालन का फैसला केंद्र ने राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। उत्तराखंड सरकार सोमवार को इस संबंध में निर्णय ले सकती है। कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए उत्तराखंड में मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े से लॉकडाउन है।
इससे उत्तराखंड रोडवेज की करीब 1600 बसों का संचालन शुरू हो सकेगा। उत्तराखंड से दिल्ली, उत्तरप्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, जम्मू, राजस्थान राज्यों के लिए बसों की आवाजाही है। बसों का संचालन न होने से रोडवेज को भी हर महीने 20 से 22 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है। दूसरे राज्यों में बसों के संचालन को लेकर सरकार को बेशक निर्णय लेने में कुछ समय लगे, लेकिन राज्य के भीतर बसों और यात्री वाहनों के संचालन को लेकर सरकार सोमवार तक फैसला ले सकती है।
महंगी हो सकती है यात्रा, इन पर जारी रहेगी पाबंदी
लॉकडाउन में सार्वजनिक यात्री वाहनों के संचालन की सरकार कुछ शर्तों के साथ अनुमति दे सकती है। यात्री वाहनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य किया जाएगा। कम यात्री होने की वजह से यात्री वाहनों को नुकसान हो सकता है। इसलिए यात्रियों की संख्या को सीमित करने के साथ ही किराए की दरों में अस्थाई वृद्धि भी हो सकती है।
कुछ राज्यों ने किराए की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी तैयार किए हैं। वहीं, होटल, रेस्टोरेंट और अन्य आतिथ्य सेवाएं बंद रहेंगी । सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, जिम्नेजियम, स्विमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थिएटर, बार, ऑडिटोरियम, सभागार और ऐसे सभी स्थान बंद रहेंगे।
प्रदेश के स्कूल, कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई जारी रहेगी। केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में नई गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाए जाने के साथ ही स्कूल, कॉलेजों को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि लॉकडाउन के चलते बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में जहां ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा नहीं है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धन सिंह की ओर से अधिकारियों को कोई वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं।
लॉक डाउन 4.0 में मनरेगा पर तवज्जो का प्रदेश सरकार को फायदा मिलेगा। प्रदेश में अब मनरेगा के तहत काम करने वालों की संख्या 1.75 लाख तक पहुंच गई है। प्रवासियों के लिए यह योजना कुछ हद तक आजीविका का जरिया बन सकती है। इसमें भी प्रदेश सरकार को अभी पर्याप्त राहत नहीं मिल पाई है। सरकार की कोशिश है कि खेती किसानी के काम को भी मनरेगा में शामिल कर लिया जाए। अभी तक इसकी अनुमति नहीं मिली है।
रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन तय करना सरकार के हाथ में
लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के आधार पर रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन तय करने का अधिकार प्रदेश सरकार को दे दिया है। किस जनपद को कौन सा जोन घोषित करना है यह अब प्रदेश सरकार तय करेगी। लेकिन इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होगा।
कोरोना संक्रमित मामलों के आधार पर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से जनपदों की रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन की श्रेणी तय की जाती थी। जोन तय करने के लिए अलग-अलग मानक निर्धारित है। इसमें संक्रमण की दर, मरीजों के ठीक होने की दर, सर्विलांस, सैंपल जांच शामिल हैं।
अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि लॉकडाउन 4.0 को लेकर केंद्र की ओर से जारी गाइडलाइन में जोन तय करने का अधिकार प्रदेश सरकार को दिया गया है। लेकिन इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों का पालन करने की बात भी कही गई है। प्रदेश में किस तरह जोन तय किए जाएंगे। इसका फैसला सरकार लेगी।
12 हजार करोड़ के कारोबार पर ताला बरकरार
लॉकडाउन के चौेथे चरण में चार धाम सहित पर्यटन गतिविधियों को शुरू करने की प्रदेश सरकार की कोशिश को भी झटका लगा है। प्रदेश सरकार को उम्मीद थी कि देव स्थानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए स्थानीय स्तर पर आवाजाही में कुछ हद तक छूट मिलेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन में इस तरह की गतिविधियों को 31 मई तक प्रतिबंधित ही रखा गया है। इसके बाद अब सरकार के पास अर्थव्यवस्था केे पटरी पर लाने के लिए एमएसएमई सेक्टर को अधिक से अधिक प्रमोट करने का ही विकल्प बचा है।
प्रदेश में चार धाम यात्रा को करीब 12 हजार करोड़ रुपये की मानी जाती है। इसी पर होटल, टूर ऑपरेटर्स, परिवहन के साथ ही प्रदेश में कई छोटे-मोटे रोजगार भी निर्भर हैं। यही हाल पर्यटन व्यवसाय का भी है। इको टूरिज्म से लेकर साहसिक खेलों, पर्वतारोहण, एंगलिंग, सफारी आदि पर ताला लगने से प्रदेश सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है और कई लोगों की आजीविका खतरे में है।
नई गाइडलाइन में स्पष्ट कर दिया गया है कि धार्मिक कार्यों के लिए लोगों को एक स्थान पर जमा नहीं होने दिया जाएगा। इससे प्रदेश में कई मेलों पर भी तालाबंदी है। तीन माह तक चलने वाला पूर्णागिरी मेला पूरी तरह से ठप है। इन मेलों पर स्थानीय लोगों की आजीविका भी निर्भर है।