पंचायतों के ग्राम स्वराज अभियान को मिला सिर्फ 37 करोड़ का बजट

पंचायतों के ग्राम स्वराज अभियान को मिला सिर्फ 37 करोड़ का बजट

इस योजना के तहत पंचायत प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग, क्षमता विकास के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने, ग्राम योजनाओं की जानकारी देने समेत कई अन्य कार्यों के लिए पैसा दिया जाता है। लॉकडाउन में इस बार इसी योजना पर कैंची चली है। प्रदेश में साढ़े सात हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। इनमें करीब 60 हजार प्रतिनिधि हैं।

लॉकडाउन 2.0 में प्रदेश की पंचायतों के ग्राम स्वराज अभियान का बजट केंद्र सरकार ने खासा कम कर दिया है। इस बार केंद्र ने 14 करोड़ रुपये के बकाया सहित कुल 37 करोड़ रुपये ही जारी किए हैं। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पंचायत दिवस पर 2018 मेें ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत की थी।

पंचायतों को करीब 65 करोड़ रुपये मिलना था। पर पंचायतों को इस बार इस अभियान के तहत कुल मिलाकर 37 करोड़ रुपये ही मिल पाए हैं। राहत यह रही कि केंद्र सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष का बकाया करीब 14 करोड़ रुपये जारी किया है। इसी को मिलाकर इस बार पंचायतों को करीब 37 करोड़ रुपये मिले हैं।

केंद्र ने 14 करोड़ रुपये के बकाया सहित कुल 37 करोड़ रुपये ही जारी किए

जिला नियोजन समितियों के गठन मेें देरी करने से भी पंचायतों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिला नियोजन समितियों का चुनाव अभी नहीं हो पाया है। लॉकडाउन खुलने के बाद ही अब इन समितियों के चुनाव हो पाएंगे।

इन समितियों पर ही निर्भर करता है कि जिलों की योजनाओं का आकार क्या रहेगा। प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में गठित होने वालीं इन समितियों के चुनाव में कम से कम एक माह का समय लगना तय है।

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