गरीब बच्चों से पढ़ाई के नाम पर कराई जा रही मजदूरी

देहरादून। ऋषिकेश की चिल्ड्रन होम अकादमी में अनियमितताओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा खुलासा हुआ है कि गरीब बच्चों को पढ़ाई के नाम पर मजदूरी कराई जा रही है। इस अनियमितता को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने खुद अपनी आंखों से देखा और मौजूद स्टाफ को कड़ी फटकार लगाई। बता दें कि इसी स्कूल में दो दिन पहले सातवीं कक्षा के छात्र वासु की हत्या का मामला सामने आया था। पांचों आरोपी पुलिस गिरफ्त में हैं।

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने चिल्ड्रन होम अकादमी का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मेस, हास्टल से लेकर स्कूल के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया। मेस में गईं तो उन्हें बच्चे खाना बनाते दिखे। पूछने पर सहमे बच्चों ने कुछ बोलने से इनकार कर दिया।
काफी देर तक पुचकारने के बाद बच्चों ने बताया कि उनसे इस तरह के काम करवाए जाते हैं। सच्चाई सामने आने के बाद बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने बताया कि स्कूल प्रबंधन कुछ गंभीर राज छुपाने की कोशिश कर रहा है। खुलेआम श्रम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि ये पहला मौका नहीं है जब मासूम बच्चे की जान चली गई और प्रबंधन को समय रहते पता नहीं चल पाया। पूर्व में भी एक बच्चा टिहरी से गायब हो चुका है। उसका आज तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। वहीं इस संबंध में अकादमी के मौजूदा प्रबंधक स्टीफन ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने आशंका जताई है कि चिल्ड्रन होम अकादमी में संसाधनहीन बच्चों को मोहरा बनाकर संदिग्ध गतिविधियां कई वर्षों से चल रही हैं। स्कूल के गतिविधियों की हाई लेवल जांच होनी चाहिए।

पूर्व में शासनादेश जारी होने के बावजूद स्कूल में सीसीटीवी कैमरे न लगवाना गंभीर कारनामों की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हर तरफ से स्कूल प्रबंधन को बचाने की कोशिशें अब भी जारी हैं। मासूम बच्चों की जिंदगी बर्बाद करने वाली ऐसी संस्थाओं को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा।

स्थानीय निवासी और समाजसेवी सुबोध जायसवाल से स्कूल के माहौल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्कूल के बारे में चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को परिसर से दूर रखा जाता है।

अंदरखाने क्या गतिविधियां संचालित होती हैं यह हमेशा सवालों के घेरे में रहा। उनका कहना है कि बच्चे की मौत के बाद लोगों का प्रवेश भले हो गया, वरना कई सालों बाद भी लोग नहीं जान पाए कि स्कूल प्रबंधन यहां बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करता है।

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