ट्रेन के जरिए होगी गंगोत्री-यमुनोत्री धाम की यात्रा पांच साल बाद
रेल विकास निगम को डीपीआर बनाने में दो साल का समय लगा। इसके लिए आईआईटी रुड़की से प्रूफ चेकिंग भी करवाई गई। हिमालयी क्षेत्र की किसी रेल परियोजना के लिए पहली बार विस्तृत भू-वैज्ञानिक सर्वे भी किया गया। रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि देहरादून के डोईवाला से 121 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में 84 किलोमीटर सुरंग के निर्माण के साथ 17 छोटे बड़े पुल बनेंगे। परियोजना में सबसे बड़ी सुरंग 15 किलोमीटर लंबी होगी। उन्होंने बताया कि रेल मंत्रालय से स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जायेगा।
गंगोत्री-यमुनोत्री धाम की यात्रा पांच साल बाद ट्रेन के जरिए की जा सकेगी। रेल लाइन बिछाने के लिए फाइनल सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है। 121 किलोमीटर लंबी लाइन में 10 रेलवे स्टेशन बनेंगे। पांच साल में बनने वाली रेल लाइन पर 22 हजार करोड़ रुपये खर्च आएगा। गुरुवार को फाइनल रिपोर्ट रेल मंत्रालय एवं उत्तराखंड सरकार को दे दी गई।
तीन खासियतें
- देश की सातवीं सबसे ऊंची रेल लाइन
- गंगोत्री रेल लाइन देश की सातवीं सबसे ऊंची रेल लाइन होगी। करीब 1200 मीटर की ऊंचाई तक ट्रेन जाएगी।
- देश में बिलासपुर मनाली लेह रेल लाइन सबसे ऊंची लाइन होगी जो 5360 मीटर ऊंची होगी।
गंगोत्री रेल लाइन में 84 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएंगी जिसमें सबसे लंबी सुरंग 15 किलोमीटर जाजल से मरोड़ के बीच में होगी।
121 किलोमीटर लंबी लाइन में ट्रेन के 18 डिब्बे मात्र डेढ़ घंटे में उत्तरकाशी पहुंच जाएंगे। भानियावाला, रानीपोखरी, जाजल, मरोडा, कंडीसौंड, सरोट, चन्यिालीसौड, डुंडा, उत्तरकाशी एवं बड़कोट।