विकास प्राधिकरणों पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तलब की रिपोर्ट
प्राधिकरण समाप्त किए जाने पर बैठक में अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। तय किया गया कि आवास विभाग सभी पहलुओं पर विचार कर आगे रिपोर्ट देगा। इसी क्रम में अंतिम निर्णय होगा। सूत्रों के अनुसार प्राधिकरण पूरी तरह समाप्त किए जाने के बजाय इन्हें शहरी क्षेत्रों में तक सीमित रखा जा सकता है। इसके साथ ही सड़क से दो सौ मीटर की दूरी का मानक भी कम किए जाने और नक्शा पास कराने के लिए तय मौजूदा शुल्क दरों को और कम किया जा सकता है।
उत्तराखंड में तीन साल पहले गठित जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों के भविष्य पर आवास विभाग नए सिरे से सीएम को प्रस्ताव सौंपेगा। हालांकि प्राधिकरण पूरी तरह खत्म किए जाने की संभावनाएं बहुत कम हैं। इसके बजाय छूट का दायरा बढ़ाया जा सकता है। पर्वतीय जिलों में विकास प्राधिकरणों के भविष्य पर गुरुवार को सीएम त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई। बीते दिनों सीएम ने अल्मोड़ा दौरे में लोगों की मुश्किलों को देखते हुए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण समाप्त करने के संकेत दिए थे। गुरुवार की बैठक में आवास विभाग के अधिकारियों ने प्राधिकरणों के नफा नुकसान से लेकर विधानसभा समिति की रिपोर्ट पर प्रस्तुतिकरण दिया।
आवास मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक लोगों की व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए, सरकार वर्तमान व्यवस्था में जरूरी सुधार करेगी। इस पर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि इस विषय पर गठित विधानसभा समिति सितंबर में अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। समिति ने भी ग्रामीण क्षेत्रों को प्राधिकरण की सीमा से बाहर निकालने पर जोर दिया है।