मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुखियाजी के प्रवासियों को मदद का भरोसा

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुखियाजी के प्रवासियों को मदद का भरोसा

बदली परिस्थितियों में काफी संख्या में प्रवासी यहीं रुकने के इच्छुक भी हैं। ऐसे में उनके मनमुताबिक रोजगार के अवसर सुलभ कराने होंगे और सरकार इसकी चिंता में जुट गई है। इसका मोर्चा संभाला है खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने। पलायन आयोग की रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री का पहले प्रवासियों के नाम गढ़वाली में पत्र और अगले ही दिन वीडियो संदेश के जरिये प्रवासियों को मदद का भरोसा, इसकी तस्दीक करता है। यह वक्त की मांग भी है कि प्रवासियों के रूप में मिले कुशल हाथों की राज्य के विकास में भागीदारी सुनिश्चित की जाए। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार प्रवासियों को थामने के लिए क्या रणनीति अपनाती है।

लॉकडाउन होने पर बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से करीब 60 हजार प्रवासी उत्तराखंड में अपने गांवों में लौटे हैं। यह बात भी सामने आ रही है कि लॉकडाउन खुलने के बाद और भी प्रवासी लौटेंगे।

प्रवासियों के नाम गढ़वाली में पत्र और अगले ही दिन वीडियो संदेश के जरिये प्रवासियों को मदद का भरोसा

मार्च के दूसरे पखवाड़े में कोविड 19 ने पैर पसारने शुरू किए। केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाउन लागू किया। वैश्विक महामारी ने सियासत के धुर विरोधियों को भी एक मंच पर ला दिया। भाजपा के सुर में कांग्रेस ने सुर मिलाया तो सियासी गलियारों में गूंजने लगा, मिले सुर मेरा, तुम्हारा। आठ-दस दिन यूं ही भाईचारे में गुजरे लेकिन फिर कांग्रेस को अचानक याद आया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो अपनी सियासी नैया तो गई पानी में। लिहाजा, गुजरात के लोगों को राज्य तक पहुंचाने से लेकर राजस्थान के कोटा से छात्रों को वापस लाने तक के मुददे पर सियासी बिसात बिछा ली। हद तो तब हो गई जब कोरोना पाजीटिव मामले कम आने पर ही सवाल उछाले जाने लगे। अब यह बात दीगर है कि कांग्रेस के भीतर ही इन मसलों पर सुर जुदा-जुदा हो गए, तो भाजपा सरकार को घेरने की मंशा खाक परवान चढ़ती।

मौका कितना ही गंभीर क्यों न हो, कुछ छपासी ऐसे होते हैं, जिन्हें बस कैमरे में शक्ल चमकाने के लिए हर जगह अपनी गर्दन घुसेड़ने की आदत होती है। ऐसा ही कुछ कोरोना संक्रमण के गंभीर दौर में भी दिख रहा है। फ्रंटलाइन वॉरियर्स के रूप में जान हथेली पर रख कोरोना से लड़ रहे योद्धाओं की आड़ में ये जनाब बस किसी बहाने मीडिया में चर्चा में छाने की मंशा पाले रहते हैं। इन दिनों कोरोना वॉरियर्स के सम्मान के नाम पर ऐसे लोग दो-चार फूलमालाएं लेकर पहुंच जाते हैं और फिर मीडिया के कैमरे देख जुट जाते हैं माल्यार्पण और बुके थमाने में। अब इनसे ये उम्मीद रखना तो बेमानी ही होगा कि इस दौरान सुरक्षित शारीरिक दूरी के नियम का पालन करेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इसे भांप रहे थे। इसीलिए उन्होंने इन छपासियों की करतूत पर पाबंदी ही लगा डाली। अब तो सुधर जाओ छपासियों।

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