संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि जब अमेरिका और तालिबान कतर में अगले दौर की शांति वार्ता के लिए अगले सप्ताह मुलाकात करने की योजना बना रहे हैं, अफगानिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के लिए सीमा पार से ‘‘समर्थन और पनाह’’ पा रहे आतंकवादी गुटों को ‘सुविधाजनक स्थिति से’ वार्ता करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) की गतिविधियों को समाप्त करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में वास्तविक एवं स्थाई शांति के लिए आतंक के नेटवर्कों को मिली ‘शरण तथा पनाहगाहों’ का खात्मा होना चाहिए।
अकबरुद्दीन ने ‘अफगानिस्तान में हालात’ पर बुधवार को एक खुली परिचर्चा के दौरान कहा कि जब आगे के रास्ते का खाका तैयार किया जा रहा है, हम यह अनदेखी नहीं कर सकते कि सर्मथन और पनाह पा रहे गुट सीमा पार से हिंसक और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं। उन्हें सुविधाजनक स्थिति से वार्ता करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आईएसआईएस, अलकायदा और उससे संबद्ध एलईटी और जेईएम की आतंकवादी गतिविधियों का समाप्त होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा 29 अप्रैल को आयोजित ‘लोया जिरगा’ के समापन बयान में संघर्ष विराम, बिना किसी शर्त के बातचीत, अफगानिस्तान में तालिबान का एक कार्यालय खोला जाना, अंतरराष्ट्रीय बलों की वापसी, समग्र वार्ता दल का गठन, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लगातार सहयोग और मानवाधिकारों का पालन, खास तौर पर महिलाओं के अधिकारों का पालन आदि मांग की गई है।
भारतीय राजदूत ने कहा कि हमें इस बात से अवगत होना चाहिए कि वह अफगानिस्तान की जनता है जिन्हें इन समझौतों को लागू करना है उन्हें बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि सभी पहलुओं से यह अफगानिस्तान के लिए जटिल वर्ष है। अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत ऐसी समग्र वार्ता और सामंजस्य प्रक्रिया का समर्थन करता है जो अफगान नेतृत्व वाली, अफगान स्वामित्व वाली और अफगान नियंत्रित हो और जो एकता, संप्रभुता, लोकतंत्र, समावेशिता और अफगानिस्तान की समृद्धि की रक्षा और उसका प्रचार-प्रसार करती हो। उन्होंने कहा कि भारत अफगान नीत, अफगानिस्तान की अपनी और अफगान-नियंत्रित समावेशी शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता है जो अफगानिस्तान की एकता, संप्रभुता, लोकतंत्र, समावेशिता और समृद्धि को बढ़ावा देता हो और संरक्षण करता हो।
अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत के अफगानिस्तान के साथ सदियों पुराने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सभ्यता आधारित और आर्थिक संबंध हैं। हम विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए अफगान साझेदारों के साथ करीब से काम कर रहे हैं और ऐसा करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि भारत चाबहार बंदरगाह परियोजना और भारत-अफगानिस्तान हवाई गलियारा सहित क्षेत्र में विभिन्न कनेक्टिविटी परियोजनाओं में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि अफगानिस्तान मेल-मिलाप के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि ज़लमय खलीलजाद ने अफगान शांति प्रक्रिया पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान सहित पाकिस्तानी नेतृत्व से इस माह की शुरुआत में इस्लामाबाद में चर्चा की थी।