उत्तराखंड में आपदा से लड़ने को मजबूत तंत्र होगा विकसित
मौसम संबंधी आंकड़ों के एकत्रीकरण के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। राज्य में ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन के साथ ही 25 सरफेस फील्ड आब्जरवेटरी, 28 रेन गेज व 16 स्नोगेज उपकरणों की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है। भूंकप के खतरों से निपटने व इससे आने वाली आपदा में जान व माल के नुकसान को कम से कम करने के लिए आईआईटी रुड़की के सहयोग से गढ़वाल व कुमाऊं में 184 भूकम्प पूर्व चेतावनी सेंसर स्थापित किए गए हैं। मौसम संबंधी सूचनाओं के लिए भारतीय मौसम विज्ञान के सहयोग से मुक्तेश्वर में डॉप्लर रडार की स्थापना का काम अंतिम चरण में है।
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य में मजबूत आपदा प्रबंधन तंत्र विकसित करना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में हैं। राज्यपाल के अभिभाषण में इस पर फोकस किया गया है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अभिभाषण में कहा कि आपदा के दौरान सूचना समय पर मिल सके और संचार तंत्र को तत्काल बहाल किया जा सके इसके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए जिलों व तहसीलों में 180 सैटेलाइट फोनों रखे गए हैं। तहसील व थाना स्तर पर ड्रोन की तैनाती की जा रही है। खोज बचाव से संबधित उपकरण, रात के अंधेरे में भी बिजली व्यवस्था व आपदा राहत बचाव के सभी उपकरणों को तहसील स्तर पर उपलब्ध कराया गया है।