उत्तराखंड में 01 दिन में बिना जांच आ सकेंगे 2 हजार लोग
बाहर से आने वालों के लिए स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण जरूरी होगा। डीएम को इसके अलावा 50 अन्य लोगों को परमिट देने का अधिकार होगा।
कोरोनाकाल में उत्तराखंड में आने वाले लोगों को छूट दी गई है। अब अन्य प्रदेशों से राज्य में अब एक दिन में अधिकतम 2 हजार लोग आ सकेंगे। अभी तक यह संख्या 1500 थी। बाहर से आने वाले लोगों का राज्य की सीमा पर रेंडम जांच होगी। हालांकि इन दो हजार लोगों में छूट की श्रेणी वाले लोग शामिल नहीं होंगे।
अन्य प्रमुख बिंदु
- रेस्टोरेंट के लिए कस्टमर्स का विवरण रखना अनिवार्य
- वॉक, जॉगिंग के लिए पार्क खुलेंगे लेकिन अन्य गतिविधियां नही होंगी।
- 33 कोविड हाई लोड सिटी से आने वालों को सात दिन संस्थागत क्वारन्टीन जबकि सात दिन होम क्वारन्टीन रहना होगा। बीमार, बुजुर्ग, गर्भवती, 10 साल से कम उम्र के बच्चों समेत बिजनेस, कर्मचारियो व कई अन्य श्रेणी के लोगों को पूर्व की ही भांति छूट रहेगी।
होटलों को कुछ राहत
नई गाइड लाइन में होटलों को कुछ राहत दी गई है। अब ऐसे पर्यटक जिनके पास 72 घंटे पहले तक की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट है, वे राज्य में कितने भी दिन के लिए रह सकते हैं। पहले न्यूनतम सात दिन के लिए अनिवार्य रूप से बुकिंग का नियम था। अब ये नियम सिर्फ उन पर्यटकों के लिए है, जिनके पास कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट नहीं है। वे होटल परिसर से बाहर भी नहीं जा सकेंगे। इसके लिए होटल, होम स्टे संचालक को बाकायदा शपथ पत्र लेना होगा। होटलों में बार तो नहीं खुलेगी, लेकिन रूम सर्विस में शराब पर्यटकों को उनके कमरे में उपलब्ध कराई जा सकेगी। रेस्तरां में आने वाले हर आदमी का ब्यौरा रखना होगा। कौन आदमी किस दिन, किस समय रेस्तरां में आया, उसका रिकॉर्ड रखना होगा।
शैक्षिक संस्थान 31 तक बंद, ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन पर रहेगा जोर
अनलॉक 03 में भी सरकार ने शैक्षिक संस्थानों को फिलहाल बन्द रखने का निर्णय किया है। 31 अगस्त तक स्कूल, कालेज, कोचिंग सेंटर समेत सभी शैक्षिक संस्थान बंद रहेंगे। सरकार ने इस दौरान ऑनलाइन और डिस्टेंस मोड़ में पढ़ाई को जारी रखने की ही अनुमति दी है। कोरोना संक्रमण के खतरों को देखते हुए यह भी अपेक्षा की है कि भविष्य में भी ऑनलाइन और डिस्टेंस मोड़ एजुकेशन को प्रोत्साहित किया जाय।
सूत्रों के अनुसार शैक्षिक संस्थानों को लेकर सरकार किसी जल्दबाजी में नहीं है। खासकर बेसिक से माध्यमिक स्तर तक तो बिल्कुल भी नहीं। सरकार का मानना है कि स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना काफी मुश्किल होगा। प्री प्राइमरी, प्राइमरी के नन्हे छात्र और माध्यमिक में किशोरवय के छात्रों को कोरोना के स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों में बांध कर रखना आसान नहीं है।