इसके अनुरूप यदि रक्षा सेक्टर की बड़ी निजी कंपनियां उत्तराखंड का रुख करती हैं तो यहां पहले से संचालित सरकारी सेक्टर के प्रतिष्ठानों को भी छोटे-छोटे उत्पादों के लिए देश के बड़े शहरों व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में दस्तक देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सीमांत प्रदेश होने के नाते उत्तराखंड का सामरिक महत्व हमेशा प्राथमिकता पर रहा है। हालांकि, यहां की सामरिक जरूरतों की पूर्ति के लिए सेना व अर्द्ध सैनिक बलों को देश के दूसरे राज्यों या अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं, उत्तराखंड में स्थित डीआरडीओ, आयुध निर्माणी बोर्ड को मिलाकर कुल सात प्रतिष्ठानों के अनुसंधान व निर्माण की पूर्ति में भी इसी तरह की बाधा महसूस की जाती रही। हालांकि, अब उत्तराखंड एयरोस्पेस और रक्षा औद्योगिकी नीति-2020 को मंजूरी मिलने के बाद यह बाधा उम्मीद में तब्दील होती दिख रही है। क्योंकि राज्य सरकार ने नए उद्योगों के आमंत्रण के लिए जिस तरह की रियायतों को नीति में शामिल किया है, उससे माना जा रहा है कि भविष्य में उत्तराखंड रक्षा अनुसंधान एवं उत्पादन का नया हब बन सकता है। इस नीति में उत्तराखंड में एयरोस्पेस या रक्षा उद्योग स्थापित करने की इच्छुक कंपनियों को पूंजी से लेकर लैंडबैंक, कार्मिक व प्रमाणीकरण आदि में तमाम तरह के आकर्षक ऑफर दिए गए हैं।
सरकारी सेक्टर के इन प्रतिष्ठानों को मिलेगा लाभ
- ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री (ओएलएफ), देहरादून
- ऑर्डनेंस फैक्ट्री (ओएफडी), देहरादून
- डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लिकेशन लैबोरेटरी (डील), देहरादून
- यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई), देहरादून
- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (बीएचईएल) लि., हरिद्वार
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बेल), कोटद्वार
- डिफेंस रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ बायो इनर्जी रिसर्च, हल्द्वानी
2024 तक स्थापित करनी होगी यूनिट
- नीति का लाभ उन्हीं औद्योगिक इकाइयों को दिया जाएगा, जो 31 दिसंबर 2024 तक प्रदेश में स्थापित की जाएंगी।
नीति में इस तरह मिलेगा लाभ
- आधार इकाई सहायिकी (एंकर यूनिट सब्सिडी)
- प्रथम पांच एयरोस्पेस एवं मूल रक्षा उपकरण निर्माता या उनके आपूर्तिकर्ता (एंकर यूनिट) को पूंजी निवेश का 10 फीसद या अधिकतम 10 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। यह लाभ 100 करोड़ रुपये या इससे से अधिक पूंजी निवेश (100 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार के साथ) पर दिया जाएगा। अचल पूंजी निवेश अधिकतम तीन साल के भीतर करना जरूरी होगा।
कौशल विकास सब्सिडी
- इकाइयों में कार्य करने वाले प्रशिक्षुओं को प्रति माह प्रति प्रशिक्षु 5000 रुपये की प्रतिपूर्ति दी जाएगी। अधिकतम 20 प्रशिक्षुओं के लिए यह राशि देय होगी।
25 लाख तक प्रमाणीकरण प्रतिपूर्ति मिलेगी
- रक्षा क्षेत्र की इकाइयों को प्रमाणीकरण की कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। लिहाजा, प्रमाणन लागत का 50 फीसद या अधिकतम 25 लाख रुपये की राशि सरकार वहन करेगी।
विद्युत कर में 100 फीसद छूट
- नीति के तहत स्थापित होने वाली इकाइयों को उत्पादन शुरू करने की तिथि से पांच साल पहले विद्युत कर में 100 फीसद छूट दी जाएगी।
भूमि की लागत में 30 फीसद रियायत मिलेगी
सिडकुल प्रदेश में जिस भी स्थल को औद्योगिक पार्क, एयरोस्पेस या रक्षा पार्क के रूप में विकसित करेगा, वहां भूमि के आवंटन में शुल्क भी लिया जाना है। इस शुल्क में संबंधित इकाइयों को 30 फीसद की छूट दी जाएगी।